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- COVID-19 की महामारी की वजह से आर्थिक मंदी के कारण, सरकार ने बहुत सी स्माल सेविंग स्कीम की इंटरेस्ट रेट्स में गिरावट की घोषणा की है׀
- पब्लिक प्रोविडेंट फण्ड और 5-वर्षीय रेकरिंग डिपाजिट सरकार के इस निर्णय से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए है׀
- इंटरेस्ट रेट्स में गिरावट होने का सबसे ज्यादा प्रभाव उन इन्वेस्टर्स को हुआ है जिन्होंने मुख्य रूप से इन योजनाओं में अपना पैसा इन्वेस्ट करने के लिए चुना था׀
आर्थिक संकट का सामना करने के लिए, 1 अप्रैल, 2020 को RBI द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद, भारत सरकार ने विभिन्न छोटी बचत योजनाओं (स्माल सेविंग स्कीम) में बड़े पैमाने पर दरों में कटौती की घोषणा की׀
Table of Contents |
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निम्नलिखित सरकारी योजनाएं प्रभावित हुई है |
अर्थव्यवस्था पर इंटरेस्ट रेट्स में कटौती के प्रभाव |
निवेशकों पर इंटरेस्ट रेट्स में कटौती के प्रभाव |
1 जुलाई, 2019 से इन स्कीमों में से कुछ के लिए ब्याज दरों में यह पहला बदलाव है׀
यह दरें वित्तीय वर्ष के पहले क्वार्टर 1 अप्रैल, 2020 से 30 जून, 2020 तक लागू रहेंगी׀
निम्नलिखित सरकारी योजनाएं प्रभावित हुई है
- सुकन्या समृद्धि योजना, जिसमे पहले 8.4% की ब्याज दर थी, वह अब 7.6% (वार्षिक चक्रवृद्धि) में बदल दिया गया है׀
- किसान विकास पत्र की ब्याज दरें घटाकर 7.6% से 6.9% (वार्षिक चक्रवृद्धि) कर दी गयी है׀
- पब्लिक प्रोविडेंट फण्ड स्कीम, जिसमे पहले 7.9% (वार्षिक चक्रवृद्धि) की ब्याज दरें थी, उन्हें घटाकर 7.1% कर दी गयी है׀ इस स्कीम के लिए पेश की गयी यह दर पिछले 43 वर्षों में सबसे कम है׀
- नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट स्कीम के लिए अब ब्याज दरें घटाकर 6.8% (वार्षिक चक्रवृद्धि) कर दी गयी है, जो पहले 7.9% थी׀
- 8.6% की पिछली ब्याज दर के साथ सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम, जो अब 7.4% (त्रैमासिक चक्रवृद्धि तथा पेड) पर है׀
- एक, दो, तथा तीन वर्षीय डिपाजिटों की ब्याज दरें घटकर 6.9% से 5.5% (त्रैमासिक चक्रवृद्धि) हो गयी है׀
- वर्षीय रिकरिंग डिपाजिट पर ब्याज दरों में 7.2% से 5.8% (त्रैमासिक चक्रवृद्धि) तक अब तक की सबसे अधिक कटौती देखी गयी है׀
अर्थव्यवस्था पर इंटरेस्ट रेट्स में कटौती के प्रभाव
ब्याज दरों में इस तरह की गिरावट हुई है की इस समय लोग इन स्कीमों में अपना पैसा डिपाजिट करने के लिए हताश हो गए है׀
जब लोग इन स्कीमों में डिपाजिट करना बंद कर देंगे, तो इन स्कीमों में ब्याज का भुगतान करने का बोझ सरकार पर से कम हो जाएगा, इसीलिए आर्थिक मंदी से निपटने के लिए उनके लिए ज्यादा से ज्यादा एसेट्स को कम कर रहे है׀
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स्माल सेविंग स्कीमों की दरों में कटौती भी रिटेल बैंकों को अपनी डिपाजिट दरों को घटाने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है क्योंकि वह भी महामारी से होने वाले आर्थिक नुकसान से निपट रहे है׀
निवेशकों पर इंटरेस्ट रेट्स में कटौती के प्रभाव:
जिन निवेशकों ने पहले से ही इन योजनाओं में निवेश किया हुआ है, यह बहुत सही समय है कि वे स्माल सेविंग्स से पैसे निकल के स्टॉक मार्किट में लगा सकते है और नए निवेश के विकल्पों को समझकर उनसे फ़ायदा ले सकते है |
स्टॉक मार्किट से मिलने वाले रिटर्न स्माल सेविंग्स इंटरेस्ट रेट से काफी अधिक होते है और स्टॉक्स का रेतुर्न सरकार तय नहीं करती | हलाकि आपको इस बात का हमेशा ध्यान रखना है कि शेयर बाजार में निवेश करना जोखिम का काम है और काफी समझदारी से आपको इसमें निवेश करना है |
जो निवेशक शेयर बाजार में पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं है, वे SIP या एक सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान में निवेश कर सकते है जिसका रेतुर्न लॉन्ग टर्म में स्माल सेविंग्स की तुलना में काफी अधिक होता है |